Monday, December 29, 2014


कोहरे के कफन में लिपटी  लाशें 
ये लाशें किनकी हैं
कोहरे की सुफेद चादर में
लिपटे हुए इन शवों का
कौन है मालिक कहां है दावेदार
भूख जिनसे हो गई पराजित
ठंड जीत गई उनसे
पास में जलाकर लकडियां चार
चिथड़े कपड़े में लिपटे वे शरीर
हर रात एक जंग झेल जाते जो
गरीबी और सर्द रात के बीच
गरीबी और किस्मत बीच
भूख और ठिठुरन में से
कौन ज्यादा निर्मम है ?
हर सुबह ज़िंदा पाकर खुद को
यही सोचते होंगे कि
जिंदगी कितनी बेशरम है
ताउम्र ज़माने की मार
मौसम के बदमिजाज नखरे
खुदगर्ज शहर के लफड़े
झेल गया ये शरीर आज जो
अकड़ी हुई लावारिस लाश है
अपने गर्म लहू के ताप से
उम्र दर उम्र शहर को सेंकने वाले
ये नहीं तो कोई और सही
बहुतेरे मिलेंगे हाड- मांस के पुतले
चमचमाते शहर को तो बस चाहिए गर्मी
ठठरियों से सोखी हुई गर्मी
लाशें किसकी हैं क्या अंतर पड़्ता है
शहर का तो दावा है गर्मी पर

No comments: