अभी साथ था अब खिलाफ है
वक्त का भी आदमी सा हाल है
आईना घर में रहा बरसों मगर
आज उसकी आंख में क्यू्ं सवाल है
खत में लिखा आएंगे अबके बरस
धीमी कर दी वक्त ने क्यूं चाल है
वक्त का भी आदमी सा हाल है
आईना घर में रहा बरसों मगर
आज उसकी आंख में क्यू्ं सवाल है
खत में लिखा आएंगे अबके बरस
धीमी कर दी वक्त ने क्यूं चाल है
मुद्ओं की भीड़ में क्यों खो गया
मुददई को बस रह गया मलाल है
मुददई को बस रह गया मलाल है
आदमी को आदमी का वास्ता
आदमी ही आदमी की ढाल है
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