क्या बताउं एक अधखिंची हैंडब्रेक ने क्या क्या गुल खिला दिए.... smile emoticon
मेरे हाथ से लगी गाड़ी की हैंडब्रेक लगी न लगी बराबर ही होती है । अक्सर यह बात इसलिए छिपी रह जाती है कि गाड़ी जहां पार्क की वहां की ज़मीन समतल निकली वरना एक दो बार गाड़ी धीमे धीमे बहते हुए ' जीले अपनी ज़िंदगी सिमरन ' वाली अंतर्चेतना से काम लेती पाए गई है और अक्सर किसी भलेमानस के द्वारा पहिए के नीचे लगाए गए पत्थर की बदौलत गाड़ी की और न जाने किस किस की जान बची है ।
कल गाड़ी जहां पार्क की पता नहीं था कि वहां की जमीन ऎसी ढलुवां निकलेगी । और हुआ वही जो हो सकता था । मेरे गाड़ी से उतरते ही अधलगी हैंडब्रेक से तुरंत रिवोल्ट करते हुए गाड़ी आगे को बहते हुए एक स्टॆशनरी दुपहिया को गिराकर शांत हुई । जूस की दूकान की भीड़ के कानों और आंखों को भिडंत के नाद् से उम्मीद जगी कि अब कहासुनी होगी और हमें काटो तो खून नहीं पर । मुझे लगा गाड़ी का मालिक इनमें से न हो बाकी तो संभाल लेंग़े पर उसी पल जूस पीते हुए गाड़ीवाला युवक अवतरित हो ही गया और मुझे लाड भरे शब्द सुनाई दिए " ओहोहोहो मैम कोई बात नहीं " और दिखाई दिया मेरे घबरा गए चेहरे को तसल्ली देता निहारता और गाडियों की गुत्थमगुत्थी को भी छुड़ाता एक शांत और प्यार भारा चेहरा । लगा यकीनन इन जनाब की कल्पना में दोनों गाड़ियां नहीं भिड़ीं बल्कि गाड़ियों के मालिक लतावेष्टित आलिंगन में बंधे हैं । उसकी कल्पना की कल्पना करते हुए मेरे मन ने शायद कहा कि अब जाने भी दीजिए "इतनी भी खूबसूरत नहीं हूं मैं " और उनका धराशायी हो गया बैग उनको थमाते हुए न अपना लजाना छिपा सकी न अपनी घबराहट । नज़रें मिलाई थीं ' आए एम वेरी वेरी सॉरी ' कहने के लिए पर जनाब की आंखों में बिल्कुल अनेक्स्पेक्टिड सा जवाब तैर रहा था " इट्स माय प्लैज़र ' । मैंने पूछा कहीं लगी तो नहीं तो जवाब में बस चमकती हुई आंखें देखीं और धड़कता हुआ दिल ही सुनाई दिया कि 'लगी तो ज़रूर है ' । दिल तो मेरा भी धड़क रहा था कि जाने आज क्या क्या होता होता रह गया पर छिपाने का हुनर मेरे पास उसके मुकाबले ज़्यादा था ।
घर जाकर बढ़ी हुई धड़कनों की कहानी कहते ही यही सुनने को मिलेगा कि' तुम भी न कितनी केयरलेस हो यार चलो अब एक सिपलार टेन ले लो वरना हांफती फिरोगी ' । पर मैं कहूंगी कि ' दिल का तेजी से धड़कना हर बार किसी बीमारी का ही नतीजा हो ज़रूरी नहीं जानू ' । और ज़रूर कहूंगी कि ' आप जो इतनी बेरहमी से कसी हुई हेंडब्रेक लगा देते हो कि मुझे अक्सर बहुत जद्दोजहद करनी पड़ती है और आखिरकार बगल से गुजरते किसी भलेमानस को बुलवाकर नीचे करवानी पड़ती है ' वगैरह वगैरह ... । ...खैर घर जाकर क्या बताना है क्या नहीं बताना है कैसे बताना है यह तो घर पहुंचने पर ही डिसाइड होगा रास्ते भर् तो दिल की चहक को सुन लूं ।
3 comments:
हुर्रे.............
क्या बात है
सचमुच बहुत अच्छी लगी पोस्ट
वाह बहुत ही सुंदर रचना।
Aapka blog padhkar khushi hoti hai. Bahut khoob likhti hain aap aur bhasha par aisa adhikar rakhti hain aap. And I have never seen you, so can't be blamed for being smitten by your looks.
~Ashwini
PS: If this comment gets posted, it would imply that I'm not a robot.
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