- जिंदगी की सबसे धमाकेदार सनसनीखेज वारदात--मेरा इस संजालजगत में प्रवेश करना ही है। शायद.... पतिदेव नामक प्राणी का हर वक्त कंप्यूटर के आगे बैठे रहना बहुत अखरता था और अब आलम ये है कि मामला ही उलट गया है अब होड होती है क्योंकि दोनों को ही ब्लॉग पर पोस्टियाना होता है जबकि कंप्यूटर एक ही है
- चिट्ठा जगत में भाईचारा और बहनापा सत्य और माया के बीच का कुछ तत्व है ये विवशता भी है और सहयोगपूर्ण सहअस्तित्व भी इस बहस पर बाकी प्रकाश शोध के दौरान डालती रहूंगी
- अंतरंग सवाल- वैसे कभी अवसर मिला तो जानना चाहूंगी कि जीतू, अनूप, रवि रतलामी आदि को कैसा लगता है जब उन्हें एक दिन अपने ही खड़े किए चिट्ठाजगत में आप्रासंगिक हो जाने का खतरा दिखाई देता होगा।
- टिप्पणी का जीवन बहुत महत्व है-- इससे टिप्पणीकार हर चिट्ठाकार में भाईचारा और बहनापा बढता है
- हां चिट्ठाकारी छपास पीडा को शांत करती है दैविक दैहिक भौतिक तापों में एक इस ताप को भी शामिल मान लेना चाहिए। अपन तो जबरिया लिखि है ......वाला दर्शन सही है अब अपन के लिखने से कोई दुखी हो तो हो...
मेरे पांच शिकार
- अनुगूंज के रिपुदमन
- मसिजीवी (लीजिए प्रत्यक्षा आपने बख्श दिया था, हमने पकड़ लिया)
- मानसी
- मनीषा (हिंदी बात)
- और सुनील दीपक (जो कह न सके)
पांच सवाल

- आपकी चिट्ठाकारी का भविष्य क्या है ( आप अपने मुंह मियां मिट्ठू बन लें कोई एतराज नहीं)
- आपके पसंदीदा टिप्पणीकार?
- तीसरा सवाल वही है जो प्रत्यक्षा जी का तीसरा सवाल था यानि किसी एक चिट्ठाकार से उसकी कौन सी अंतरंग बात जानना चाहेंगे ?
- वह बहुत मामूली बात जो आपको बहुत परेशान किए देती है?
- आपकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत झूठ?
पांचों शिकार पांचो सवालों के सीधे सच्चे जवाब जल्द लिखें (और हां बकौल प्रत्यक्षा जी भगवान को हाजिर नाजिर जान कर लिखें )