पिछले जीवन के अब तक के सभी अनुभव बताते रहे विचार से ज्यादा जरूरी है -विचारधारा ।आपके भविष्य का ग्राफ निर्धारित होता है इस बात से कि आपने किसी विचारधारा का दामन पकडा या नहीं। विचारधाराएं विचारों का छाता बन गई हैं। मेरे आस पास के कुछ लोग जिन्होंनें एसी छतरियों के बिना चलना शुरू किया था आज भी चल रहे हैं और आज भी ये व्यव्स्था हँसते हुए कह रही है उन्हें -कमअक्लो, धूप से बचने के लिए छाता जरूरी है।
मेरी एक पुरानी कविता
धूप से बचने के लिए जरूरी है छाता
हमारे छाताधारी समाज में छाते
कम हैं और लोग ज्यादा
कुछ के पास छाते हैं पैबंद लगे
तो कुछ छातों के मालिकाना हक
अभी विवाद का विषय हैं
और देखो उधर कुछ कमअक्ल
सिर पर ताप सहते कडी धूप में
चल रहे हैं गल रहे हैं
भाई समझाओ
अपने लिए छाते का करें इंतजाम
जरूरी है धूप से बचने के लिए एक छाता
5 comments:
और जिनके पास छाता खरीदने का पैसा न हो नीलिमा जी, वे क्या करेंगे... मेरे दोस्त की भी एक कविता इसी विषय पर है, आप http://mohalla.blogspot.com/2007/01/blog-post_18.html पर उसे पढ़ें... और अपनी राय दें...
achchgi kavita.
sammaj par achchha vyang kiya hai
जीवन का उद्देश्य अगर सीधा हो तो समाज में एक प्रकार की गति आ जाए…लेकिन विचार तो दूर यहाँ भावनाएँ ही नहीं हैं जो सोंच सके…अत्यंत प्रासंगिक कविता है…जो झूठे समाज के दम भरते उपदेशों पर प्रहार है…बधाई स्वीकारें…
पहली बार मैं यहाँ पर आया…अच्छा लगा विचारों का संगम्…
अच्छे भाव हैं, बधाई.
बहुत कोशिश कर के भी नहीं समझ पाया!
शायद मैं भी कमअक्ल variety में आता हूँ. :-)
समझना तो चाहता हूँ, की आप क्या कहना चाहती हैं - अगर आप उचित समझें, थोडा hint दे सकें, तो आभार होगा.
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