आज जमाना सुपर फास्ट हो गया है ! जब से हमने उस सुप्रीम पावर वाले भगवान की सुपीरियोरिटी के भगोने में छिद्र कर दिया है तब से हम सुपर उन्मुक्त हो चले हैं ! सुपर बाजार से सामान खरीदते हैं , सुपर सफेद कपडे पहनते हैं ,सुपर्ब सुपर्ब कहकर अपने सौंदर्यबोध को जाहिर करते हैं ! अब किसी हिंदी फिंदी वाले से मत पूछ लिया जाए कि भैया मतलब समझत हो स्सुपर का ! बेचारा वह अपने सुपर साहित्यिक लहजे मॆं हडबडिया सुपरफिशियल जवाब दे डालेगा _सुपर माने सुन्दर पर !हे हे !! इस सुपर सांइंटिफिक जमाने में ऎसे सुपर बेकवर्ड को कोई तो उबारो रे ! खैर हम तो कह यह रहे थे कि भैया आजकल सुपर सेल मॆं कुछ भी माल लगा दो और बेचो _बस ये ध्यान रखो कि माल के सुपर एट्रेक्टिव कवर पर सुपर लफ्ज जरूर लगा हो !
अब आजकल के गानों को ही देख लो ! हर सुपर सेड्यूसिव गाने मॆं सुपर सेक्सी नायक नायिका गण गा रहे होंगे "आय एम सुपर सेक्सी , य़ू आर सुपर सेक्सी " ! अब सेक्स भी सुपर की गारंटी के पैकेज में है जिससे मिले सुपर सेटिस्फेक्शन ! सेटिस्फेक्शन जो सुपर बाजार से सुपर शापिंग करने या सुपर रिन की चमकार मारते कपडों को पहनने के समतुल्य ही है ! ये वो सेटिस्फेक्शन है जो सुपर सेक्स काड्यूट गाते नायक नायिका वृंद से इतर हर दर्शक के सुपर कांप्लेक्सिटीज से भरे मन की आकुल व्याकुल पुकार है ! हर उघडी नायिका सुपर डांस के सुपर एक्टेव झटके मारती कह रही है सिर्फ मुझे ही पाओ क्योंकि मैं ही हूं सुपर सेक्सी !वात्स्यान मुंह सिकोडे खडे हैं रीतिकाल के कविगण अपने कथित अश्लील काव्य को सुच्चा साबित कर पा रहे हैं ! वहां सब कुछ शास्त्रीय था - पर नायक का परनायिका से प्रेममिलन या संभोग रस की कोटि का गायन ! ये सुपर कॉंवेश्नल काल बीत चुका ! अब जमान है हर गली मॆं सुपर सेक्स और सुपर सेक्सी की धूम का ! सुपर सेक्स का रसाभास करो और इस नाम की भूतनी या भूत से डसे जाओ ! अब सब कुछ सुपर हॉट है ! मौका हो हो या सेल हो गाना हो या खेल हो सब कुछ है सुपर सिजलिंग !
बाजार रूपी थाली में हरएक के लिए खास तौर पर सजा अर्ध्य _ 'भागो और भोग लो! " कर्म का भोग भोग का कर्म "- ये कौन बोला रे ? अब बोलो- भागकर भोग कर लो कर्म करो तो सिर्फ भोग का ! ओ सुपर सेक्सी युग के सुपर नॉटी बालक-बालिकाओ !! गांठ बांध लो सुपर टाइट क्यॉकि यही है आज का सुपर मंत्रा !!बोलो ओ$म सुपर सेक्सी कलाय नम: ..!!'
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9 comments:
एकदम सैक्सी पोस्ट है।
ओ३म के बीच में डॉलर ($) नहीं तीन (३) का चिह्न आता है।
दुनिया दरअसल एक मार्केट है
हर एक चीज का यहां पे सैट रेट है
हो के शुरु सुबह और खत्म शाम ही तलक
ये इश्क आज का वन डे क्रिकेट है
बोले तो वन डे भी कहां, ट्वंटी ट्वंटी के लेवल पर आ लिया है।
यूं भी अब सेक्स, सेनसेक्स और मल्टीप्लेक्स के अलावा बहुत कम ऐसा है, जिस पर गंभीर चिंतन होता है।
श्रीश से सहमत हूँ....
ओ$म सुपर सेक्सी कलाय नम: ..!! आपकी डिमांड पर.
अब हमें भी कहना ही होगा -एक दम झक्कास है।
पहले तो आपकी इस सुपर हॉट पोस्ट के लिए सुपर डुपर बधाई...पता नहीं कितने सुपर आए और आँखो के सामने सुपर पावर से दौडते हुए सुपर कंफ्यूज़न भी पैदा कर गए अपुन के सुपर सोनिक भेजे में कि सुपर कौन?नीलिमा जी या फिर कोई और
"अब बोलो- भागकर भोग कर लो कर्म करो तो सिर्फ भोग का"
आपका विश्लेषण बहुत सही है. हम एक यौन-भोग भरी दुनियां में जी रहे हैं. इसके दुष्परिणाम 2025 तक इतने अधिक हो जायेंगे कि हम पश्चिम को मात दे जायेंगे -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.
इस काम के लिये मेरा और आपका योगदान कितना है?
बहुत दिनों से नीलिमा तुम्हारा कोई नया लेख नहीं मिला।
आशा करता हूँ जल्द ही रौशन ख्याल कलमबद्ध होंगे।
When will you post again ? Been looking forward to this !
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