Monday, June 25, 2007

तो हाजिर है हिंदी ब्लॉगिंग पर मेरे शोध के परिणाम


क्या है ब्लॉगिंग

ब्लॉग़िंग ऎसी खोह है जामे सब खो जात
मनसा वाचा कर्मणा, जीवन वहीं बितात

ब्लॉगिंग ऎसी बानी है निसदिन करें बलात
यदि उच्चारें लोक में, बहुतहि मार हैं खात

ब्लॉगिंग के आनंद का कछु होत न सकत बखान
कहिबै कू सोभा नहीं करत ही मिलत परमान

फुरसत की यह लेखनी फुरसत मॆं पढी जाय
जबरन पाठक ढूंढि के , जबरिया जाई पढवाय

ब्लॉगित जाति से तात्पर्य

लोक जगत के सज्जन सभी मिलि मिलि यहां बतियात
टिप्पणी टिप्पणी खेलिके , हरतु परस्पर ताप

ब्लॉगर ऎसी जाति है जामें बहुत उपजाति
मैचिंग वाणी उवाचिए बैठिए एक ही पांति

ब्लॉगर ऎसा जीवडा जाके सिर नहीं पांव
कौन जाने किस नाम से कौन कहा कहि जाए

ब्लॉगिंग करि करि जग मुवा पापुलर भया न कोय
सबतें प्रेम ते भेंटिऐ , इंडिबलॉगिज कहलाय

गूंगे की यह सर्करा(चीनी) मन ही मन मुस्काय
और पूछें तो प्राणी यह सकत नहीं समझाय

ब्लॉगिंग का भविष्य एवं दिशा

ब्लॉगिंग करन जो मैं चला मन अकुंठ होय जाय
न जाने किस वॆश में खुद से खुद मिलि जाय

शुभ -शुभ मंगल लिखि- लिखि सहृदय को सहलाएं
जाकि अमंगल लेखनी तुरत ही गाली खाय

यह ब्लॉग का पंथ कराल महा तलवार की धार पे धावनो है
साचे ब्लॉगर चलें तजि आपनपौं(अहम)झिझकें कपटी जे निसांक (निश्शंक) नहीं
तुम कौन सी पाटी(पाठ) पढे हो लला लिखो ढेर पै पढत छटांक नहीं
गहे सत्य यहां निसिवासर ही उचरें सुरवाणी , अपवाद नहीं


कुछ सावधानियां

ब्लॉगिंग उतनी कीजिए कायम रहे कुटुंब
ब्लॉगराइन की व्यथा को दूर करें अविलंब


टारच गहि गहि सर्च किए ब्लॉगिंग के गुन - दोस
गुन दोसन की पोटली सम है यही संतोस


सर्च बहुत ही कीन्ही हम उत्तर बहु -बहु पाय
निष्कर्षन की पावती बहुविध दीन्हीं सुना

14 comments:

काकेश said...

अच्छा शोध है.रोचक भी रोमांचक भी.पांडित्य भी लालित्य भी.

mamta said...

शोध और परिणाम दोनो के लिए बधाई।


ब्लॉग़िंग ऎसी खोह है जामे सब खो जात
मनसा वाचा कर्मणा, जीवन वहीं बितात

बहुत ख़ूब।

Vikash said...

अच्छा शोध है, अनुपम प्रस्तुति। :)

Gyan Dutt Pandey said...

टेक एनदर वन :

ब्लॉगिंग के जुन्नून को, समझ न पायो भाय.

हांफत-तरफत-मरत भी, पोस्ट शृजन न जाय.

सुनीता शानू said...

वाह मज़ा आ गया..सच मानिये तो इतना मज़ा तो रहिम दास जी के दोहो को गाकर नही आया...
आपका शोध बेहद रोचक बना है...

सुनीता(शानू)

Pratik Pandey said...

बहुत खूब... good one! :)

Anonymous said...

अन्वेषण प्रस्तुतियाँ क्या किसी शोध-पत्रिका में भी प्रकाशित होंगी ?

Sanjeet Tripathi said...

बहुत खूब!

Udan Tashtari said...

ब्लॉगिंग उतनी कीजिए कायम रहे कुटुंब
ब्लॉगराइन की व्यथा को दूर करें अविलंब
दूर करें अविलंब हाँ!अगर यह संभव होता
काहे लिखता ब्लॉग,नहीं मैं आराम से सोता
कहे समीर कविराय कि यह सब भ्रम है भाया
ब्लॉगराइन की व्यथा,कौन है दूर कर पाया.


---वैसे दोहे बेहतरीन बन गये हैं और शोढ परक भी. :) साधुवाद!! हा हा!!

विनोद पाराशर said...

निलिमा जी,दोहा शॆली में ब्लागर्स व ब्लागराईन(वाह! क्या शब्द चुना हॆ) की पीडा को अच्छी अभिव्यक्ती दी हॆ.साधुवाद.अगला शॊध किस विषय पर होगा?

Divine India said...

इसमें तो Thesis-Antithesis-synthesis
सब आ गया। जिस सुंदरता से कविता उवाचा है वह सचमें काबिल-ए-तारिफ है…सुंदर!!!

Rajeev (राजीव) said...

बहुत सटीक दोहे हैं। लगता है शीघ्र ही हिन्दी पाठ्यक्रम में एक और अध्याय जुड़ने वाला है। अब बचो हिन्दी के विद्यार्थियों, एक और लेखिका की साहित्य शैली का विश्लेषण याद करने को तैयार रहो। उच्च कक्षाओं के विद्यार्थी भी नहीं बचेंगे, ऐसे शोध के परिणाम आने लगे तो इन शोध-परिणामों पर भी शोध करना होगा जल्द ही!

बहुत समीचीन हैं लगभग सभी दोहे!

ePandit said...

मजेदार शोध के मजेदार परिणाम। इस तरह की पोस्टें बरबस चेहरे पर मुस्कान ला देती हैं।

इस विधा में लिखना आगे भी जारी रखें।

Unknown said...

महोदय सादर प्रणाम,

आपको हिंदी भाषा , साहित्य, चर्चा तथा काव्य आदी को समर्पित एक नये जाल-स्थल (वेबसाइट) का परिचय हो इस हेतू यह पत्र भेजा जा रहा है|

आज इंटरनेट पर हिंदी मे साहित्य निर्मिती हो रही है, यह बड़ी उत्साहजनक बात है| लोग अपने विचार समाज के समक्ष अपनी भाषा मे रख रहे है| हिंदी मे लिखना और वह प्रकाशित करना आज भी उतना सहज नही है लेकिन लोगों का उत्साह कायम है| आज इंटरनेट पर अच्छा हिंदी साहित्य निर्माण हो रहा है| हिंदी विकीपीडीया तथा अन्य सैकडों चिठ्ठे (ब्लॉग) इस बात का प्रमाण देंगे की हिंदी भाषी लोग अपनी भाषा के प्रति इंटरनेट पर भी सजग हो रहे है| लेकिन हमारी संख्या और हमारे प्रगल्भ साहित्य को देख कर यह प्रतीत होता है की यह प्रयास आज भी पर्याप्त नही है|

आज हिंदी को इंटरनेट पर बढावा देने के लिये एक संयुक्त प्रयास की जरूरत है| सभी मिलकर हिंदी को साथ ले जायेंगे| इस विचार से हिंदी भाषी तथा हिंदी से प्यार करने वाले सभी लोगों की ज़रूरतों पूरा करे तथा जहां सामाजिक चर्चा मंच हो जो सरल और उपयोगी हो| ऐसा कुछ करने की चाह मन मे लेकर एक जाल स्थल की निर्मिती की गयी है| आगे उस जाल स्थल का संक्षिप्त परिचय कराने की कोशिश कर रहे है|

इस जगह (वेबसाइट) पर आप हिंदी में अत्यंत सरलता से लिख सकते है| अपना साहित्य, काव्य प्रकाशित कर सकते है तथा किसी भी सामाजिक विषय पर चर्चा शुरु कर सकते है|
यहां आने पर आपको सर्वप्रथम पंजियन कर अपना सदस्य नाम लेना है| यह नाम आप हिंदी मे ले सकते है और हमारा आग्रह है की आप नाम हिंदी मे ही लें| ध्यान रहे आपका संकेताक्षर ( पासवर्ड) अंग्रेजी मे ही रहेगा |

यहाँ आप हिंदी तथा अंग्रेजी भाषा मे लिखने का चुनाव कर सकते है| एक लेख मे आप हिंदी तथा अंग्रेजी मे साथ साथ लिख सकते है| हिंदी मे लिखने के लिये मदद (की बोर्ड) दिया गया है जो अत्यंत सरल है| या ने जैसा अंग्रेजी मे लिख सकेंगे वैसा ही लिखे और आप हिंदी लिख पायेंगे|

अपना साहित्य प्रकाशित करना तथा अन्य प्रकाशित साहित्य पर अपना मत प्रकट करना यह एक अच्छा अनुभव होगा| यह एक सामुदायिक जालस्थल है जहां आप अपने लोगों से हिंदी मे बाते कर सकेंगे| हिंदी साहित्य तथा अन्य सम-समान विचारों के लोगों से मिलने का अनुभव भी खास रहेगा|

इस जाल स्थल की अन्य कई विशेषताएँ है जो कि समय समय पर सामने आयेगी| आप इस जाल स्थल से जुड़ जायें तथा अपना सहयोग दें यह विनती है| आपसे एक और विनती है की आप यह संदेश अपने हर परिचित तक पहुंचाने मे हमारी मदद करें| अपने स्नेही तथा परिवारजनों तक यह जाल स्थल पहूंचाये|


जाल स्थल का पता - http://www.hindibhashi.com

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