tag:blogger.com,1999:blog-36523763.post465690746095936543..comments2023-08-24T19:38:13.436+05:30Comments on आँख की किरकिरी: शास्त्री फिलिप जी से मुलाकात : सारथी ही तो हैं वेNeelimahttp://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-57209539070267759892009-11-26T14:56:44.997+05:302009-11-26T14:56:44.997+05:30नीलिमा जी उत्तरांचल हमारी देवभूमि है या केराला, खै...नीलिमा जी उत्तरांचल हमारी देवभूमि है या केराला, खैर मुझे तो कथोलिक ईसाइयों के केरल आगमन के कारण और वहां स्थापित चर्च की वज़ह से ईश्वर के नाम पर यह नाम दिया किन्तु पंरपरा मॆ हम सबसे पुराने है और हमारी संस्कृति भी सो उत्तराखण्ड ही प्राचीन देवभूमि है वैसे एक राष्ट्रवादी होने से मुझे तो मेरे देश की प्रत्येक जगह देवभूमि और प्रत्येक जीव देवों की प्रतिम्प्प्र्ति दिखाई देता हैKK Mishra of Manhanhttps://www.blogger.com/profile/11115470425475640222noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-12898089015989024502009-06-29T20:15:46.610+05:302009-06-29T20:15:46.610+05:30शास्त्री जी से मिलवाने के लिए बहुत आभार।शास्त्री जी से मिलवाने के लिए बहुत आभार।बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttps://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-57827199932688390752009-06-16T17:59:39.597+05:302009-06-16T17:59:39.597+05:30नीलिमा के आलेख को पढ कर जिन मित्रों ने कोच्चि आने ...नीलिमा के आलेख को पढ कर जिन मित्रों ने कोच्चि आने की इच्छा जाहिर की है उन सब का स्वागत है. आपको यहां ऐसा लगेगा जैसे आप अपने घर ही में हों!!<br /><br />सस्नेह -- शास्त्री<br /><br />हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है<br />http://www.Sarathi.infoShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-76946211120977399802009-06-16T17:58:17.217+05:302009-06-16T17:58:17.217+05:30प्रिय नीलिमा और मसिजीवी (असली नाम बताना या न बताना...प्रिय नीलिमा और मसिजीवी (असली नाम बताना या न बताना आप के ऊपर छोड रहा हूँ. वैसे मसिजीवी बहुत हृदयस्पर्शी नाम है),<br /><br />तुम दोनों से मुलाकात मेरे जीवन का एक अविस्मरणीय अनुभव था. जीवन में जिन से एक बार भी मुलाकात नहीं हुई उनसे कितना आत्मीय संबंध एक क्षण में महसूस हो सकता है यह एक बार और मैं ने महसूस किया. <br /><br />आपस में मुलाकात करने के बाद हम सब बातचीत में ऐसे खो गये जैसे कि हमेशा एक दूसरे को जानते आये थे. हर विषय पर ऐसे खुल कर चर्चा हुई जैसे कि समय जैसी कोई चीज हमारे जीवन को जकडे हुए नहीं है. लेकिन क्या करें घडी ना तो मेरे काबू में थी न तुम दोनों के. अंत में मन मसोस कर मुझे उठना पडा. <br /><br />ईश्वर करे कि तुम लोग हर साल केरल का चक्कर लगाओं. इस सितंबर से तो वाकई में हमारा घोसला खाली होने जा रहा है. जिंदगी एक नई दिशा लेने जा रही है. <br /><br />नीलिमा, तुम से दो शब्द: तुम्हारा चिट्ठा हिन्दी के सबसे पढे जाने वाले चिट्ठों में से एक हुआ करता था. लेकिन तुम ने कुछ समय से लिखना बंद कर दिया है. यह अच्छी बात नहीं है.<br /><br />सडक चलते समय कई कठिनाईयां आती हैं. कुत्ते भौंकते हैं. पैरों पर कीचड और मैला लग जाता है. लेकिन इस कारण हम में से कोई सडक चलना बंद नहीं करता है. <br /><br />चिट्ठाजगत में दोचार हैं जिनका अपना कोई अस्तित्व नहीं है. सिर्फ सडकचलते सज्जनों पर भौंकने से ही लोगों के समक्ष उनके अस्तित्व की पुष्टि होती है. लेकिन श्वान श्वान ही रहेगा, चाहे कितना भी भौंके.<br /><br />नियमित रूप से लिखना शुरू कर दो. दूसरों को देने के लिये तुम्हारे पास काफी बौद्धिक संपदा है. इसे छुपा कर रख कर घूरा न बनाओं, बल्कि इसे कलम (कीबोर्ड) द्वारा निवेश करके हीरा बना दो. <br /><br />सस्नेह -- शास्त्री<br /><br />हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है<br />http://www.Sarathi.infoShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-41875130375610398862009-06-16T15:05:51.194+05:302009-06-16T15:05:51.194+05:30सबसे मिल कर अच्छा लगा।सबसे मिल कर अच्छा लगा।उन्मुक्तhttp://esnips.com/web/unmuktMusicFiles/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-22932677014653085682009-06-16T09:39:27.150+05:302009-06-16T09:39:27.150+05:30शास्त्री जी से मुलाकात का सौभाग्य तो नही मिला लेकि...शास्त्री जी से मुलाकात का सौभाग्य तो नही मिला लेकिन इच्छा ज़रूर है।सच मे वे शास्त्री हैं। आपने उनसे मुलाकात का वर्णन भी सुन्दर किया है।ब्लाग जगत के रिश्तो मे असली रिश्तो से ज्यादा मिठास होती है ऐसा मै समझता हूं।हो सकता है मै गलत हूं,मगर जब किसी ब्लागर से मुलाकात हो या बात हो तो उस मिठास का एहसास कई गुना ज्यादा हो जाता है।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-17691005235024712902009-06-16T08:23:38.309+05:302009-06-16T08:23:38.309+05:30आपकी संक्षिप्त मुलाकात का विवरण व चित्र मन को खूब ...आपकी संक्षिप्त मुलाकात का विवरण व चित्र मन को खूब भाये।<br /><br />ब्लॉगिंग से मन उठता सा लगे तो हम भी किसी वर्चुअल मित्र से मुलाकात या बातचीत का बहाना ढ़ूँढ़ ही लेते हैं। पिछले दिनों शास्त्री जी का फोन आया तो इतनी बातें हुयीं जैसे जमाने बाद दो पुराने मित्र मिल रहे हों। उनकी स्पष्ट, उचित हिंदी उच्चारण से मैं बहुत प्रभावित था। ऐसे ही प्रेरक व्यक्तित्वों से मिलकर महसूस होता है कि व्यर्थ कहां रहा ब्लॉगिंग में आना! बहुत कुछ तो मिल रहा है जो अन्यथा कैसे मिलता.... ?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-23681022551352207772009-06-16T07:22:27.486+05:302009-06-16T07:22:27.486+05:30बहुत सुखद लगा शास्त्री जी से आपका मिलना |बहुत सुखद लगा शास्त्री जी से आपका मिलना |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-36250463712703184912009-06-15T23:33:59.965+05:302009-06-15T23:33:59.965+05:30और कैमरा बोल उठा। :)
सुन्दर लेख।और कैमरा बोल उठा। :)<br />सुन्दर लेख।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-59691727313730128942009-06-15T19:26:32.843+05:302009-06-15T19:26:32.843+05:30बहुत सुखद लगा आपकी यात्रा-वृत्तांत के बारे में पढ़...बहुत सुखद लगा आपकी यात्रा-वृत्तांत के बारे में पढ़कर. सोचता हूँ मैं भी शास्त्री जी से मुलाकात के लिए समय ले ही हूं. अग्रिम तौर पर. रोचक पोस्ट के लिए साधुवाद.Atmaram Sharmahttps://www.blogger.com/profile/11944064525865661094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-79711069059350468592009-06-15T17:10:29.441+05:302009-06-15T17:10:29.441+05:30बड़ा सुखकर रहा आपकी शास्त्री जी से मुलाकात देखना. ह...बड़ा सुखकर रहा आपकी शास्त्री जी से मुलाकात देखना. हम तो मिलते मिलते रह गये किन्तु हमारे बेटे और बहू के हनीमून के इन्तजामात में शास्त्री जी ने खूब भूमिका निभाई. हमसे ज्यादा तो हमारे बेटे से बातचीत होती रही उनकी. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-52889528565059466682009-06-15T15:17:16.369+05:302009-06-15T15:17:16.369+05:30यहां रहना व्यर्थ कहां रहा बहुत कुछ तो मिल रहा है ज...यहां रहना व्यर्थ कहां रहा बहुत कुछ तो मिल रहा है जो अन्यथा कैसे मिलता.... ?<br /><br />हर ब्लॉगर मिलन पर यही सोचता हूँ. <br /><br />शास्त्रीजी से मिलने की बहुत इच्छा है. बहुत से सवाल है जो उनसे पुछने है. शयद हम भी कभी मिल लें.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-27774796484552944432009-06-15T15:14:09.692+05:302009-06-15T15:14:09.692+05:30शास्त्री जी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा | यह ...शास्त्री जी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा | यह अच्छा हुआ कि यात्रा व्रित्रांत के बहाने आपने ब्लॉग पोस्ट लिखा | "ब्लॉगर'स ब्लाक" से बाहर आयीं | इतना लम्बा गैप न करें तो अच्छा रहेगा | <br />ब्लॉग्गिंग बहुत कुछ देती है | उससे भी ज्यादा उम्मीद करने से निराशा होती है |<br />लिखती रहें | धन्यवाद |अर्कजेशhttp://www.arkjesh.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-67849986741856625572009-06-15T15:03:45.234+05:302009-06-15T15:03:45.234+05:30आदरणीय शास्त्री जी से मिलने और आशीर्वाद प्राप्त कर...आदरणीय शास्त्री जी से मिलने और आशीर्वाद प्राप्त करने की मेरी भी इच्छा है। आपने संस्मरण सुना कर इस इच्छा को और बलवती बना दिया। बड़ा प्रेरक व्यक्तित्व है शास्त्री जी का। <br /><br />आपको एक अच्छी यात्रा पूरी करने की बधाई।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-80713912665266672362009-06-15T11:45:00.093+05:302009-06-15T11:45:00.093+05:30एक तो बेहतरीन और सुकून भरी यात्रा और ऊपर से शास्त्...एक तो बेहतरीन और सुकून भरी यात्रा और ऊपर से शास्त्री जी से मुलाकात, यानी सोने में सुहागा। जब भी किसी ऐसे "वर्चुअल" मित्र से मुलाकात होती है तब बहुत रोमांच होता है… गत माह दिल्ली आना हुआ था, अरुण जी (पंगेबाज) से मेरी पहली मुलाकात हुई थी और तब विषय निकला था कि चलो मसिजीवी जी से भी मिल लेते हैं लेकिन विभिन्न चर्चाओं, समय की कमी और गर्मी के कारण कुछ ऐसा हुआ कि मिल ना सके… लेकिन अगली बार आयेंगे तो अवश्य मिलेंगे…। अच्छा अनुभव सुनाया आपने भी…। शास्त्री जी ग्वालियर आते रहते हैं ऊपर वाले ने चाहा तो हो सकता है कभी हमारी मुलाकात वहाँ हो जाये…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.com