tag:blogger.com,1999:blog-36523763.post2562161003921534311..comments2023-08-24T19:38:13.436+05:30Comments on आँख की किरकिरी: हैप्पी करवा चौथ टू ऑल द आइडियल वाइव्सNeelimahttp://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-78187193163101693762009-11-15T20:47:34.040+05:302009-11-15T20:47:34.040+05:30अब ये सारे त्योहार बाज़ार की गिरफ्त में आ गये हैं इ...अब ये सारे त्योहार बाज़ार की गिरफ्त में आ गये हैं इसलिये बाज़ार अपने हित में इन्हें खत्म नहीं होने देगावीरेन्द्र जैनhttps://www.blogger.com/profile/03394460991280336978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-60235351971336207872008-11-07T12:45:00.000+05:302008-11-07T12:45:00.000+05:30मुझे नहीं लगता कि करवा चौथ की कोई बहुत पुरानी परंप...मुझे नहीं लगता कि करवा चौथ की कोई बहुत पुरानी परंपरा है, न ही यह लगता है कि यह आधुनिक युग में कोई बहुत आगे जा पाएगी। यह समय के साथ खत्म हो जाएगी, जल्दी है ऐसा लगता है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-24455036212777399262008-11-07T12:44:00.000+05:302008-11-07T12:44:00.000+05:30मुझे नहीं लगता करवा चौथ की कोई बहुत पुरानी परंपरा ...मुझे नहीं लगता करवा चौथ की कोई बहुत पुरानी परंपरा होगी, न ही यह लगता है कि यह आधुनिक युग में बहुत ज्यादा आगे जा पाएगी।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-5834028302514573702008-11-05T11:44:00.000+05:302008-11-05T11:44:00.000+05:30yahi dua karungi ki iske virodh me aapki tarah any...yahi dua karungi ki iske virodh me aapki tarah anya striya bhi jaldi aawaz uthaye .....yahan samay ki nahi himaat ki avashyakta hai.....aapke hausle ki daad deti hu.....arthttps://www.blogger.com/profile/12939686404150553798noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-40801076839792682172008-10-18T21:26:00.000+05:302008-10-18T21:26:00.000+05:30Ab kuware admi ko pata nahi is par tippani karne k...Ab kuware admi ko pata nahi is par tippani karne ka haq (ya samajh) hai ya nahi, magar mujhe lagta hai ki kisi se ye sab jabariya nahi karwana chahiye. Ha agar jise chahte hain uske kiye kuch special karne ka thrill mahsoos karna hai, to ye badi majedar cheez hai.Vikashttps://www.blogger.com/profile/14895138066719817525noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-83521454608709162792008-10-18T02:15:00.000+05:302008-10-18T02:15:00.000+05:30नीिलमा जीकरवाचौथ को लेकर आपने अच्छा वैचािरक मंथन ि...नीिलमा जी<BR/>करवाचौथ को लेकर आपने अच्छा वैचािरक मंथन िकया है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख- सुरक्षा ही नहीं होगी तो कैसे नौकरी करेंगी मिहलाएं-लेख िलखा है । इस पर अपने िवचार व्यक्त कर आप बहस को आगे बढा सकती हैं ।<BR/><BR/>http://www.ashokvichar.blogspot.comंDr. Ashok Kumar Mishrahttps://www.blogger.com/profile/01184710406024316074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-48639496920869604302008-10-17T15:16:00.000+05:302008-10-17T15:16:00.000+05:30करवा चौथ पर यह सत्य घटना सुनाए बिना नहीं रहा जाता....<B>करवा चौथ</B> पर यह सत्य घटना सुनाए बिना नहीं रहा जाता.<BR/><BR/>रेखा (मेरी बीवी) से उसकी एक सहकर्मी ने पूछा - तुम करवा चौथ का व्रत नहीं रखतीं?<BR/><BR/>रेखा ने प्रत्युत्तर दिया - तुम लोग तो एक ही दिन व्रत रखती हो, मैं तो रोज करवा चौथ रखती हूं. रोज. बारों मास, तीसों दिन.<BR/><BR/>क्या मतलब? सामने वाले ने आश्चर्य से पूछा.<BR/><BR/>अरे, तुम लोग सिर्फ साल में एक दिन चांद देख कर व्रत तोड़ते और खाना खाते हो. मैं तो रोज, उठते बैठते, सुबह शाम चांद देखकर ही खाना पीना समेत तमाम काम करती हूं. रेखा ने बताया<BR/><BR/>ऐसा कैसे बोल रही हो तुम? ऐसा हो ही नहीं सकता. सामने से प्रतिरोध हुआ.<BR/><BR/>रेखा ने स्पष्ट किया : अरे, ऐसा कैसे नहीं हो सकता. मैं अपने पति के सिर के चांद की बात कर रही हूं. मेरे लिए वही असली चांद है. :)रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-1633087175503508322008-10-17T09:52:00.000+05:302008-10-17T09:52:00.000+05:30दिशाहीन इफेक्ट ?किस इफेक्ट की बात करते हैं आप ?किस...दिशाहीन इफेक्ट ?<BR/>किस इफेक्ट की बात करते हैं आप ?<BR/>किसने तय की है यह दिशा ?<BR/>इसे अपने खिलाफ लड़ा ईमान लेना आप की नासमझी ही होगी ,इसे स्त्री का सचेत होना माने तो बेहतर है।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-48589120490834467742008-10-17T07:17:00.000+05:302008-10-17T07:17:00.000+05:30अच्छी चर्चा...। आस्था को तर्क की कसौटी पर कसने से ...अच्छी चर्चा...। <BR/>आस्था को तर्क की कसौटी पर कसने से कुछ ऐसा ही दिशाहीन इफेक्ट आयेगा। :(सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-5576882552819275942008-10-16T23:35:00.000+05:302008-10-16T23:35:00.000+05:30और जो राणी बण गई सी ओ गोली बन गई ....गोली बण गई रा...और जो राणी बण गई सी ओ गोली बन गई ....गोली बण गई राणी ..!<BR/>सो जैसे उस असली रानी के दिन फिरे वैसे ही इस व्रत की सभी धारिकाओं के भी फिरें ! <BR/>फिर उस "गोली" का क्या हुआ ? <BR/>ये एकता कपूर की नवीनतम सीरीयल मेँ देखिये ...<BR/>करवा व्रत की महिमा न्यारी मेँ :-)..<BR/>नीलिमा जी, आप हमेशा बौध्धिक सँवाद की पहल करतीँ हैँ <BR/>जो अन्ध्श्रध्धा से परे है -<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-11203292309374330232008-10-16T22:58:00.000+05:302008-10-16T22:58:00.000+05:30क्रान्तिदेवीजी आप से किसी का सुख देखा नहीं जाता सो...क्रान्तिदेवीजी आप से किसी का सुख देखा नहीं जाता सो हमेंशा पुरुषों की ही दवा करने में लगी रहती हैं.<BR/>वैसे हमारे तो नसीब ही फूटे हैं हमारे घर में तो महादेवीजी विराजमान हैं.सो उन्होंने आज तक कोई व्रत नहीं रक्खा. <BR/>मधुररजनी के दिन हमने सोचा था कि वे हमारी चरण रज लेने झुकेंगी और हम कहेंगे प्राणप्रिये तुम्हारी जगह हमारे चरणों में नहीं हमारे ह्रदय में है पर ऐसा नहीं हुआ.फिल्मों में देखा सुना डायलोग खूब याद कर रक्खा था.काम नहीं आया.हाये री किस्मत.<BR/>पर आप सीधी साधी पति भक्तिनों को उकसाकर पतिदेवों का कारोबार बंद कराना चाहती हैं. वैसे अब शुरुआत हो चुकी है.आप अपने काम में लगी रहें.<BR/>जय हो क्रांतिदेवी की.<BR/>वैसे आप लोगों के ब्लाग पर टिप्पणी करने में हमेंशा<BR/>ये शेर याद आता है -<BR/>मौसम ने परिन्दों को ये बात बतादी है,<BR/>उस झील पे खतरा है उस झील पे मत जाना.<BR/>आप सभी को निरंतर पढ़ता हूँ आइना पसंद हूँ.<BR/>एब हम में हैं लाखों क़ुबूल,<BR/>ये न भूलो कि कुछ खूबियां हैं.<BR/>आप नुक्ताचीं नज़र हैं सो उनको ही देखा करती है.<BR/>बशीर बद्र का शेर समझ में आजाये तो-लड़ना बंद करें.<BR/>दुश्मनी का सफ़र एक कदम दो कदम,<BR/>तुम भी थक जाओगे हम भी थक जायेंगे.subhash Bhadauriahttps://www.blogger.com/profile/12199661570434500585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-35634487951468616432008-10-16T18:54:00.000+05:302008-10-16T18:54:00.000+05:30neelema ji shradha ka addha hekhub chalta he apne ...neelema ji <BR/>shradha ka addha he<BR/>khub chalta he apne yahan<BR/>bahut acchi rachana<BR/>regardsmakrandhttps://www.blogger.com/profile/14750141193155613957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-78368723696629410282008-10-16T18:01:00.000+05:302008-10-16T18:01:00.000+05:30neelima jee,sadar abhivadan. bahut achha likha aap...neelima jee,<BR/>sadar abhivadan. bahut achha likha aapne hamesha ki tarah.अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-44605063551598421702008-10-16T15:42:00.000+05:302008-10-16T15:42:00.000+05:30मैं यह व्रत नहीं रखती । कारण सीधा है, मेरी माँ के ...मैं यह व्रत नहीं रखती । कारण सीधा है, मेरी माँ के समाज में यह व्रत नहीं रखा जाता । जब पहली बार मुझे हरियाणा में इस व्रत के अवसर पर कथा सुनने को बुलाया गया तो मुझे खुशी हुई कि मैं यह व्रत नहीं रखती । यदि रख भी रही होती तो बंद कर देती ।<BR/>सभी त्यौहारों के साथ कई कथाएँ जुड़ी होती हैं, परन्तु यह कहानी तो takes the cake, along with the bakery.<BR/>वैसे जो मानती हैं व व्रत रखती हैं,उन्हें शुभकामनाएँ । <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-56493063931836319652008-10-16T15:07:00.000+05:302008-10-16T15:07:00.000+05:30neelima ji, aapko achcha nahi lagta, n rakhen, aap...neelima ji, aapko achcha nahi lagta, n rakhen, aapke khilaf koi fatwa jaari nahin hone jaa raha, pahle jo bhi katha-kahaniya thi we samaj ko regulate karne ke liye thi, dharmik manytaon ko manna-n manna aapke oopar hai, tamaam khamiya hote hue bhi mujhe yahi achchai lagti hai ki maano tab theek n mano tab theekभारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-89553997938170591732008-10-16T13:33:00.000+05:302008-10-16T13:33:00.000+05:30हमारे यहाँ (शायद जैन होने की वजह से) कोई ऐसे व्रत ...हमारे यहाँ (शायद जैन होने की वजह से) कोई ऐसे व्रत नहीं करता, शायद उनकी नजर में हमारी जान की कोई कीमत नहीं :( :) <BR/><BR/>कथाएं बहुत विचित्र होती है, कई बार पढ़ कर सर पिटने को जी चाहता है. कोई इन पर विश्वास कैसे कर सकता है!!?संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-38674052609956960382008-10-16T13:27:00.000+05:302008-10-16T13:27:00.000+05:30कारण कुछ भी है... प्यार तो छिपा ही है...भौतिकता ईश...कारण कुछ भी है... प्यार तो छिपा ही है...<BR/>भौतिकता ईश्वर को नहीं देख पाती.. न ही तर्क से ईश्वर प्राप्त किया जा सकता है...सिर्फ़ प्रेम ही ऐसा मार्ग है जो सब को वश में कर सकता है. शायद यही कारण काफ़ी है..<BR/><BR/>वैसे पुरुष (पति) तो नारी (पत्नी) के वश में ही होता है और गाहे वगाहे उसे फ़ोर्स्ड वर्त करना पड ही जाता है :)... फ़िर उसके लिये अलग से वर्त का प्रोविजन न ही हो तो अच्छा हैMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-25341897053491294212008-10-16T13:08:00.000+05:302008-10-16T13:08:00.000+05:30कोई दिमाग नहीं लगाता.. सब करते है.. हम करते है.. क...कोई दिमाग नहीं लगाता.. सब करते है.. हम करते है.. क्यो कैसे पता नहीं.. <BR/><BR/>और केवल पत्नी ही क्यों? <BR/><BR/>अच्छा है अब प्रश्न उठने लगे है..Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-90258751505436818262008-10-16T12:39:00.000+05:302008-10-16T12:39:00.000+05:30आपकी तरह मैं भी इस तरह के पर्व को उसके वैचारिक/पौ...आपकी तरह मैं भी इस तरह के पर्व को उसके वैचारिक/पौराणिक आधार के कारण पसंद नहीं करता, लेकिन आपकी तरह विरोध जताने का हौसला भी नहीं है। मैं इस पक्ष में हूँ कि इसे बराबरी के स्तर पर जीया जाए, मनाया जाए, यह पति-पत्नी के बीच प्यार दर्शाने का एक अवसर बन कर आए। जैसे कुछ दिवस किसी बात की महत्ता दिखाने के लिए मनाया जाता है, उसी तरह ये पर्व भी प्यार निभाने के रूप में देखा जाना चाहिए। यह वैलेंटाइन डे का ठेठ भारतीय संस्करण बन जाए तो बेहतर।जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.com