tag:blogger.com,1999:blog-36523763.post1064125871833108464..comments2023-08-24T19:38:13.436+05:30Comments on आँख की किरकिरी: घर , घरवालियां और सेक्सNeelimahttp://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-27578979129537754352009-09-02T12:16:23.510+05:302009-09-02T12:16:23.510+05:30बेहद अफ़सोस जनक ..अजीब सा कड़वा सच है..
ऐसे भावनात्...बेहद अफ़सोस जनक ..अजीब सा कड़वा सच है..<br />ऐसे भावनात्मक , विचारात्मक लेख के लिए आपकी सराहना..विजेंद्र एस विजhttps://www.blogger.com/profile/06872410000507685320noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-74641878788647388942009-09-01T10:39:03.090+05:302009-09-01T10:39:03.090+05:30bat kante ki uthai hai .aisa nahi hona chhiye .uru...bat kante ki uthai hai .aisa nahi hona chhiye .urush ko dosi nahi thahrana chahiye .yaha bat purush pardan ki nahi hai .vastav me jab tak dharm rhega .tab tak bhut si burai u hi chalti rahegi .agar dharm na hota to kya yh kanun banta .dushri bat se sara muslim samaj u uske guru sahmat hai akele taliban ka koi dos nahi hai .bas unho ne to phle ki hai .nilima ji aap purush ko dosi na man kar dharm ko dosi kahiye .ase dhrm vinas ko or le jate hai. <br />dhanyvad.Dr.Adhurahttps://www.blogger.com/profile/00694900449853395636noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-55153021418214457622009-08-28T14:55:51.196+05:302009-08-28T14:55:51.196+05:30मिसिरजी को बार-बार मतलब समझाना काहे के लिये पड़ता ह...मिसिरजी को बार-बार मतलब समझाना काहे के लिये पड़ता है!<br />http://indianscifiarvind.blogspot.com/2009/06/blog-post_25.htmlAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-1328457201698083812009-08-26T20:08:09.223+05:302009-08-26T20:08:09.223+05:30बड़ा ताज्जुब और अफ़सोस की बात है कि कैसे इस तरह के ...बड़ा ताज्जुब और अफ़सोस की बात है कि कैसे इस तरह के बर्बर और अहमक कानून बना देते हैं लोग! शर्मनाक! मिसिरजी को बार-बार मतलब समझाना काहे के लिये पड़ता है!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-24976832369680838072009-08-26T18:42:50.154+05:302009-08-26T18:42:50.154+05:30यह केवल अफगानिस्तान में ही नहीं हो रहा है. हिन्दुस...यह केवल अफगानिस्तान में ही नहीं हो रहा है. हिन्दुस्तान में ऐसे हजारों सफेदपोश अफगानिस्तान हैं, जो उजागर नहीं हुए हैं.Atmaram Sharmahttps://www.blogger.com/profile/11944064525865661094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-2871134044459252552009-08-26T16:27:51.029+05:302009-08-26T16:27:51.029+05:30@मेरा आशय लेखन की असावधान भूल की इन्गिति भर थी -ना...@मेरा आशय लेखन की असावधान भूल की इन्गिति भर थी -नारी चौखट के भीतर असुरक्षित है तो बाहर भी है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-19248851078966803442009-08-26T15:53:30.644+05:302009-08-26T15:53:30.644+05:30कम कम =कम से कमकम कम =कम से कमL.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-61231930729144435882009-08-26T15:35:14.097+05:302009-08-26T15:35:14.097+05:30@नीलिमा जी आपकी साफगोई के कायल हैं ..सुन्दर लेख.
...@नीलिमा जी आपकी साफगोई के कायल हैं ..सुन्दर लेख.<br /><br />@अरविन्द जी आपकी टिप्पणी, टिप्पणी कम धमकी ज्यादा लग रही है :-)<br />मित्र, क्या महिलाएं इसलिए बंदिनी की तरह जीवन व्यतीत करें की, घर से बाहर भी यही होने वाला है ..हम-आप परिस्थितियों से समझौता कर लेंगे तो इसे बदलेगा कौन ?<br />कम कम पढ़े -लिखों से आशा तो की जा सकती है ..अन्याय करने वाला पापी होता है सहने वाला उससे भी बड़ा पापी.L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-81330547015218599992009-08-26T14:39:15.374+05:302009-08-26T14:39:15.374+05:30शायद तब स्त्री के सबसे बड़े कारागार परिवार को विदा...शायद तब स्त्री के सबसे बड़े कारागार परिवार को विदा लेनी होगी | <br /><br />well said and the whole post is well written <br /><br /><br /><br />RachnaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-23942561201965458212009-08-26T14:34:28.807+05:302009-08-26T14:34:28.807+05:30अफगानियों ने कानून बना दिया ये गलत है,बाकि नारी पर...अफगानियों ने कानून बना दिया ये गलत है,बाकि नारी पर तो ये जुल्म हर जगह होता है!बस वो सामने नहीं आ पता!पुरुष अभी भी उसे बराबर मानने जितना परिपक्व नहीं हुआ है!RAJNISH PARIHARhttps://www.blogger.com/profile/07508458991873192568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-85861119796183381202009-08-26T14:10:00.422+05:302009-08-26T14:10:00.422+05:30इत्तिफकान हिंदी तहलका में एक लेख पढ़ रहा था जिसमे ख...इत्तिफकान हिंदी तहलका में एक लेख पढ़ रहा था जिसमे खुमैनी ने एक ज़माने में आदेश दिया था हर लड़की को पढाओ..इरान में औरतो में उसके बाद अस्सी प्रतिशत शिक्षा दर बढ़ गयी थी ...आज भी वहां कही ज्यादा आज़ादी है ...मजहब का इस्तेमाल कैसे करते है .वो महत्वपूर्ण है .....<br />हाँ एक शानदार खुले दिमाग ओर खुले दिल से लिखे लेख पर एक बधाई .हिंदी ब्लोगों में ऐसे लेख कम ही मिलते हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-30708411554621088612009-08-26T13:42:22.065+05:302009-08-26T13:42:22.065+05:30अर्कजेश ने सही बात कही। अर्कजेश, टी वी सीरियलस् को...अर्कजेश ने सही बात कही। अर्कजेश, टी वी सीरियलस् को तो छोड़िए, सामूहिक ंिहदी नारी ब्लागस् तक की हालत यही है। रुढ़िवादी और वर्णवादी स्त्रियां भरी पड़ी हैं। जो दो चार अपनी सोच-समझ रखने वाली होती हैं, वे भी मजबूर हो जाती होंगीं। इन सच्चाईओं को माने बिना काम नहीं चलने वाला।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-32305240327993932162009-08-26T10:05:20.191+05:302009-08-26T10:05:20.191+05:30एक झकझोर देने वाला नग्न सत्य. आहत करने वाली वीभत्स...एक झकझोर देने वाला नग्न सत्य. आहत करने वाली वीभत्सता. मुस्लिम देशों में स्त्री की स्थिति सर्वाधिक शोचनीय है. कुरआन और हदीस पढ़ लें तो कारण भी स्पष्ट हो जाएगा.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-23298351659204405232009-08-26T10:00:16.082+05:302009-08-26T10:00:16.082+05:30नीलिमा जी...
गीताश्री को भी इसी विषय पर पढा था..आप...नीलिमा जी...<br />गीताश्री को भी इसी विषय पर पढा था..आपको भी...मेरे ख्याल से ये आज के युग पर इन कटटरपंथियों की जिद का एक उदाहरण है...स्वछ्छ सन्देश जी...आप क्यों सबको यही कहते हैं कि कुरान पढिये..अरे तो आप क्या कर रहे हैं...मान लिया कि सारा मीडिया गलत कह रहा है...तो आप ही बताइये न ..सच क्या है..ब्लोग्गिंग से बढिया माध्यम और क्या होगा ये कहने के लिये...अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-70875802154020811782009-08-26T09:47:13.870+05:302009-08-26T09:47:13.870+05:30is tarah ka koi qanoon islam ke dayre men anhin aa...is tarah ka koi qanoon islam ke dayre men anhin aataa hai... media in sab baton ko tod-marod kar pesh karti hai.... nilima jee agar aap wastav men jananaa chahti hain ki islam kya kahta hai aur pati-patni ke huqooq kya hain to iske liye aapko qur'aan padhna hoga... warna kewal media kii khabaron ke aadhar par hi yun hi apni zehniyat bana lena... sikke ke ek pahloo ko dekhna hoga.... is sambandh men mera lekh padhen "aadhunik vaishwik sabhyta aur nari ki garima"Saleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-78126417195752771812009-08-26T08:57:54.485+05:302009-08-26T08:57:54.485+05:30नीलिमा, मैंने भी रविवार को अपने ब्लाग पर इस टापिक ...नीलिमा, मैंने भी रविवार को अपने ब्लाग पर इस टापिक पर लिखा था..मेरे लेख में जो कमी रह गई थी, उसे आपने पूरा कर दिया। अफगानिस्तन में बने कानून से मेरे खून में जो उबाल आया था, उसकी तल्खी आपके लेख में दिखाई दे रही है। ये आवाजो की कड़ी है...जितनी लंबी होती जाएगी, उतनी दूर तक पहुंचेगी..आवाज उठाते रहिए साथी.geetashreehttp://hamaranukkad.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-25327957276773575862009-08-26T08:13:17.108+05:302009-08-26T08:13:17.108+05:30घर की चौखट में सुरक्षित दिखने वाली स्त्री उसके भीत...घर की चौखट में सुरक्षित दिखने वाली स्त्री उसके भीतर कितने शोषण और समझौतों के बावजूद ही रह पा रही है इसका अंदाज़ा शायद उन विवाहिताओं बनाम पीडिताओं को भी नहीं होता...<br /><br />और घर के बाहर ??Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-18176968385099491752009-08-25T22:42:49.987+05:302009-08-25T22:42:49.987+05:30-------------------------
नो वर्क नो सैलरी-नो सेक्...-------------------------<br />नो वर्क नो सैलरी-नो सेक्स नो फूड! <br />-------------------------<br />निलिमाजी,<br />सजयजी बैगानी की बात पर सहमत हू। गलतकार्यो विधिविधानो का कही कोई समर्थन नही किन्तु उसमे कही भी किसी वर्ग को जिम्मेदार मानना उचीत नही।<br />आभार<br /><br /><a href="http://ombhiksu-ctup.blogspot.com/" rel="nofollow">हे! प्रभु यह तेरापन्थ</a><br /><a href="http://dada1313.blogspot.com/" rel="nofollow">मुम्बई-टाईगर</a>SELECTION - COLLECTION SELECTION & COLLECTIONhttps://www.blogger.com/profile/00660058760277265615noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-59049619170257865942009-08-25T19:39:58.380+05:302009-08-25T19:39:58.380+05:30तालीबान का शासन तो खत्म हो गया किन्तु छाप नही गई...तालीबान का शासन तो खत्म हो गया किन्तु छाप नही गई। सच में मुस्लिम महिलाओं की दशा किसी भी अन्य से बहुत ज्यादा दर्दनाक है।Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-3074107595605375102009-08-25T14:54:20.889+05:302009-08-25T14:54:20.889+05:30यह कानून अमानविय है. आपकी भावनाओं से भी सहमत.
एक...यह कानून अमानविय है. आपकी भावनाओं से भी सहमत. <br /><br />एक अलग विचार....पुरूष क्या करे? उसकी इच्छाओं का सम्मान कौन करेगा? क्या वह इंसान नहीं है? दुसरी महिला के पास जाए...बलात्कार करे...दीवार से सर फोड़े.... किसी भी घटना को स्त्री-पुरूष में बाँट कर क्यों देखते है? क्या कहीं संतुलन नहीं बन सकता. दोनो की इच्छा और सम्मान बना रहे वैसा.... (इस बात को पोस्ट की घटना से न जोडें)संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-35877497408184039262009-08-25T14:23:29.594+05:302009-08-25T14:23:29.594+05:30Manushya waastav men pashu hai, jo apni pashuta ka...Manushya waastav men pashu hai, jo apni pashuta kabhi nahee chhod sakta?<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36523763.post-61441177088739678782009-08-25T14:06:01.990+05:302009-08-25T14:06:01.990+05:30अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए बनाया गया कानून अमा...अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए बनाया गया कानून अमानवीय है |ये लोग गिरते ही जा रहे हैं और इनका सारा कहर महिलाओं पर ही टूटता है |<br /><br />जहाँ तक मैंने अनुभव किया है तो मुझे लगता है की महिलाओं की गुलामी दो तरफा है |<br />एक तो समाज द्वारा पैदा की गयी गुलामी | पुरुष प्रधान समाज और धर्म द्वारा स्त्री को घेरने के लिए बनाये गए शास्त्र | यह बाहरी चौकीदारी है |<br /><br />और दूसरी इन अनुशासनों का सदियों से पालन करते रहने के कारण पैदा हुई मानसिक गुलामी |<br /><br />स्त्री मुक्ति आन्दोलन राजनीति और शोषण का शिकार हो रहा है | <br />इसकी एक वजह यह है कि बहुसंख्यक स्त्री समाज, आज भी मानसिक गुलामी का शिकार है | आपने जो बातें लिखी हैं, वह तर्कसंगत हैं | लेकिन कितनी स्त्रियाँ आपकी बात से सहमत होंगी | आप चाहे टीवी धारावाहिक देख लीजिये या फिल्में, सब में वही राग अलापा जाता है, जहाँ से स्त्री पराधीनता की मानसिकता बनती है | <br /><br />स्त्री मुक्ति के रस्ते हैं - आर्थिक स्वावलंबन , शादी के लचीले कानून अर्थात तलाक को सरलतम बना देना, बगैर शादी पैदा हुए बच्चों को कानूनी मान्यता देना | <br /><br />पुरुष प्रधान समाज जनता है कि स्त्री मुक्ति की उसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी |<br />शायद तब स्त्री के सबसे बड़े कारागार परिवार को विदा लेनी होगी | <br /><br />इससे कम में स्त्री मुक्ति संभव ही नहीं है |अर्कजेशhttp://www.arkjesh.blogspot.com/noreply@blogger.com